स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली। स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली।
खुद से कुछ कर ऐ मेरे दोस्त, अब सहारा लेना छोड़ भगवान का, जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान खुद से कुछ कर ऐ मेरे दोस्त, अब सहारा लेना छोड़ भगवान का, जब हौसला बना लिया...
कौन कहता है कि इंसान परिंदे में तब्दील नहीं हो सकता कौन कहता है कि इंसान परिंदे में तब्दील नहीं हो सकता
जमाना पलट गया हैं, अपने ही दौर पर, कुछ तो बोलो मुझसे दिल मिलाकर..! जमाना पलट गया हैं, अपने ही दौर पर, कुछ तो बोलो मुझसे दिल मिलाकर..!
लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं
ऐ आशिक़,तेरा वज़ूद क्या ? तेरी मंज़िल क्या ? तूने चाहा जिसको, वो तेरे क़ाबिल है क्या ऐ आशिक़,तेरा वज़ूद क्या ? तेरी मंज़िल क्या ? तूने चाहा जिसको, वो तेरे क...